Friday, February 10, 2017

बुलेट बाबा" बुलेट राजा  का दर्शनीय स्थान


दिसम्बर में मे राजस्थान घूमने गया था।हमारे देश में भगवान,पशु और पेड़ों की पूजा सबसे आम बात है।  लेकिन बात जब किसी बुलेट(7773) की पूजा की आती है तो खबर बनती है। भारत के जोधपुर के नजदीक पाली जिले में स्थापित है. यह तीर्थ स्थान पाली से 20 किलोमीटर दूर और जोधपुर से 50 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है, पाली-जोधपुर हाईवे से जाते समय यह तीर्थ स्थान चोटिला ग्राम के नजदीक आता है.
यहां एक मोटरसाइकिल (बुलेट7773) का मंदिर है। इस मंदिर में श्रद्धालु बुलेट के सामने माथा टेकते हैं,उसे माला पहनाते हैं और ज्वाला 24 घण्टे जलती है।और अपनी और अपनाें की मन्नत मांगते हैं।

ॐ बन्ना की म्रत्यु कैसे हुवी:⬇️
दरअसल 2दिसम्बर 1988 में इसी स्थान पर ठाकुर जोग सिंह के बड़े बेटे 25 वर्षीय ठाकुर ओम सिंह राठौड़(ओम बन्ना)अपनी बुलेट पर अपने ससुराल बगड़ी,साण्डेराव से अपने गाँव चोटिला आ रहे थे तभी उनका एक्सीडेंट एक पेड़ से टकराने से हो गया ओम सिंह राठौड़ की उसी वक़्त मृत्यु हो गयी थी।

ॐ बन्ना की बुलेट का अदभुद रहष्य:⤵️

एक्सीडेंट के बाद उनकी बुलेट को रोहिट थाने ले जाया गया पर अगले दिन पुलिस कर्मियों को वो बुलेट थाने में नही मिली वो बुलेट स्वतः स्टार्ट हो के बिना सवारी चल कर उसी स्थान पर चली गयी अगले दिन फिर उनकी बुलेट को रोहिट थाने ले जाया गया पर फिर वही बात हुयी,ऐसा तीन बार हुआ चौथी बार पुलिस ने बुलेट को थाने में चैन से बाँध कर रखा पर बुलेट सबके सामने स्वतः चालु होकर पुनः अपने मालिक  के दुर्घटना स्थल पर पहुंच गयी अतः ग्रामीणो और पुलिस वालो नेअद्बुध चमत्कार मान कर उस बुलेट को वही पर रख दिया

जब इसे घर वापस लाने पर भी ऐसा ही हुआ तो ओम बन्ना के पिता जोग सिंह ने घटनास्थल पर एक छोटा सा पूजा स्थल बनवा दिया।

बुलेट बाबा नाम कैसे पडा:➡️


यह चमत्कार देखने के लिये स्थानिक लोग उस मोटरसाइकिल को देखने आया करते थे और जल्द ही उन्होंने उस “बुलेट बाइक” की पूजा करना भी शुरू कर दी. चमत्कार की यह कहानी जल्द ही आस-पास के गाँवो में फैलने लगी और बाद में उस जगह पर मोटरसाइकिल का मंदिर भी बनवाया गया. यह मंदिर “बुलेट बाबा मंदिर” के नाम से जाना जाता है और ऐसा कहा जाता है की यहाँ प्रार्थना करने से यात्रा सुरक्षित रहती है.


ओम बन्ना की पूजा :⬇️

हर दिन आस पास के गाँव वाले और यात्री वहा रुकते है और उस बाइक की पूजा करते है. कुछ लोग वहा अपनी यात्रा की सुरक्षा की प्रार्थना की कामना करते हुए मंदिर में शराब की बोतल भी चढाते है. और ऐसा कहा जाता है की वहा से गुजरते समय जो यात्री वहा प्रार्थना नही करता उसकी यात्रा जोखिम भरी होती है. वहा पूजा करने आये लोग बाइक को तिलक लगाकर लाल कपडा भी बांधते है. और साथ ही स्थानिक लोग ओम बन्ना के नाम से लोकगीत भी गाते है.

बहोत से लोग वहाँ सुरक्षित यात्रा की कामना करते हुए फूल, नारियल और लाल कपडा भी चढाते है.


ओम बन्ना की पवित्र आत्मा आज भी वह लोगो को अपनी मौजूदगी का एहसास कराती है आज भी रोहट थाने के नए ठाणेदार जोइनिंग से पहले वह धोक देते है।कोई भी गाड़ी वाले नेशनल हाइवे 65 से निकले हे तोह वहाँ माथा टेकने जरूर जाते है

ॐ बन्ना का मेला कब लगता है:➡️


लोगों की आस्था ऐसी बढ़ी कि अब हर साल ओम बन्ना की पुण्यतिथि मार्गशीर्ष माह की कृष्णपक्ष अष्टमी पर यहां मेला लगता है और हज़ारों श्रद्धालु अपने मंगलमय और सुरक्षित जीवन की मन्नत मांगने आते हैं।

ॐ बन्ना की बुलेट कहाँ रखी है:➡️


बन्ना की 350 cc रॉयल एनफ़ील्ड बुलेट (7773) शीशे के एक आवरण में पूजास्थल पर रखी गई है। अब पुरे राजस्थान में ओम बन्ना को सड़क सुरक्षा दूत के रूप में पूजा जाने लगा है।

ओम बन्ना का यह मंदिर सालभर सड़क सुरक्षा का सन्देश देता है

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